किसानों और मजदूरों के मसीहा चौधरी सर राम रिछपाल ओहल्यान (सर छोटू राम) की 143 वीं जयंती के अवसर पर सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत डॉ अंबेडकर विचार मंच के संरक्षक रामेश्वर लाल सेवार्थी, डॉ अंबेडकर विचार मंच के जयपुर जिला अध्यक्ष महता राम काला के साथ शाइनिंग टाइम्स न्यूज मीडिया के संस्थापक और मुख्य संपादक भंवर सिंह राणावत ने सर छोटूराम की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। जाट महासभा से चेनाराम महरिया और काना राम धायल ने भी इस अवसर पर सर छोटू राम को पुष्पांजलि दी।
छोटूराम का असली नाम राम रिछपाल था। वे अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे।
क्रिश्चियन मिशन स्कूल के छात्रावास के प्रभारी के विरुद्ध श्री छोटूराम के जीवन की पहली विरोधात्मक हड़ताल थी। इस हड़ताल के संचालन को देखकर छोटूराम जी को स्कूल में ‘जनरल रोबर्ट’ के नाम से पुकारा जाने लगा।
सांपला के साहूकार से जब पिता-पुत्र कर्जा लेने गए तो अपमान की चोट जो साहूकार ने मारी वो छोटूराम को एक महामानव बनाने के दिशा में एक शंखनाद था। छोटूराम के अंदर का क्रान्तिकारी युवा जाग चुका था। अब तो छोटूराम हर अन्याय के विरोध में खड़े होने का नाम हो गया था।
1912 में चौधरी लालचंद के साथ छोटूराम ने वकालत आरम्भ कर दी और उसी साल जाट सभा का गठन किया। इन्होंने अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जिसमें “जाट आर्य-वैदिक संस्कृत हाई स्कूल रोहतक” प्रमुख है। वकालत जैसे व्यवसाय में भी चौधरी साहब ने नए ऐतिहासिक आयाम जोड़े। उन्होंने झूठे मुकदमे न लेना, छल-कपट से दूर रहना, गरीबों को निःशुल्क कानूनी सलाह देना, मुव्वकिलों के साथ सद्व्यवहार करना, अपने वकालती जीवन का आदर्श बनाया।
1915 में चौधरी छोटूराम जी ने ‘जाट गजट’ नाम का क्रांतिकारी अखबार शुरू किया जो हरयाणा का सबसे पुराना अखबार है, जो आज भी छपता है और जिसके माध्यम से छोटूराम जी ने ग्रामीण जनजीवन का उत्थान और साहूकारों द्वारा गरीब किसानों के शोषण पर एक सारगर्भित दर्शन दिया था।
चौ. छोटूराम ने राष्ट्र के स्वाधीनता संग्राम में डटकर भाग लिया। रोहतक के डिप्टी कमिश्नर ने तत्कालीन अंग्रेजी सरकार से चौधरी छोटूराम को देश-निकाले की सिफारिश कर दी। पंजाब सरकार ने अंग्रेज हुकमरानों को बताया कि चौधरी छोटूराम अपने आप में एक क्रांति हैं, उनका देश निकाला गदर मचा देगा, खून की नदियां बह जायेंगी। किसानों का एक-एक बच्चा चौधरी छोटूराम हो जायेगा। अगस्त 1920 में चौ. छोटूराम ने कांग्रेस छोड़ दी क्योंकि वे गांधी जी के असहयोग आंदोलन से सहमत नहीं थे। उनका विचार था कि इस आंदोलन से किसानों का हित नहीं होगा। उनका मत था कि आजादी की लड़ाई संवैधानिक तरीके से लड़ी जाए।
एक तरफ गांधी जी का असहयोग आंदोलन था तो दूसरी ओर प्रांतीय स्तर पर चौधरी छोटूराम और चौ. लालचंद आदि जाट नेताओं ने अंग्रेजी हुकूमत के साथ सहयोग की नीति अपना ली थी। चौधरी छोटूराम की जमींदारा पार्टी किसान, मजदूर, मुसलमान, सिख और शोषित लोगों की पार्टी थी। लेकिन यह पार्टी अंग्रेजों से टक्कर लेने को तैयार नहीं थी। भारत सरकार अधिनियम 1919 के तहत 1920 में आम चुनाव कराए गए। इसका कांग्रेस ने बहिष्कार किया और चौ. छोटूराम व लालसिंह जमींदरा पार्टी से विजयी हुए।
सन् 1944 में भारत की राजनीति में मुस्लिम लीग का प्रभाव बहुत प्रबल हो गया था। मुसलमान जाति उसके झण्डे के नीचे संगठित होकर जिन्ना को अपना नेता मान चुकी थी, परन्तु जिन्ना इस बात से बहुत चिन्तित थे कि मुसलमानों के गढ़ पंजाब में चौ० छोटूराम के कारण उनकी दाल नहीं गल पा रही है।
पंजाब की राजनीति के सूर्य चौ. छोटूराम का 9 जनवरी 1945 को देहावसान हो गया।
योगदान:
अंग्रेजों को साथ लेकर सर छोटू राम ने कई सुधारात्म कार्यों को मूर्तरूप दिया। उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन की बजाय अंग्रेजों से सहयोग की नीति अपनाकर किसानों और मजदूरों के हित में कई महत्वपूर्ण कानूनों को लागू करवाया। मसलन-
साहूकार पंजीकरण एक्ट – 1934 – ( इसके अनुसार कोई भी साहूकार बिना पंजीकरण के किसी को कर्ज़ नहीं दे पाएगा और न ही किसानों पर अदालत में मुकदमा कर पायेगा।),
कर्जा माफी अधिनियम – 1934 -(इस कानून के तहत अगर कर्जे का दुगुना पैसा दिया जा चुका है तो ऋणी ऋण-मुक्त समझा जाएगा।
गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट – 1938 -( इस अधिनियम के जरिए जो जमीनें 8 जून 1901 के बाद कुर्की से बेची हुई थी तथा 37 सालों से गिरवी चली आ रही थीं, वो सारी जमीनें किसानों को वापिस दिलवाई गईं।),
कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम – 1938 – (आढ़तियों के शोषण से किसानों को निजात इसी अधिनियम ने दिलवाई।)
व्यवसाय श्रमिक अधिनियम – 1940 – (इस कानून ने मजदूरों को शोषण से निजात दिलाई। सप्ताह में एक दिन की छुट्टी वेतन सहित और दिन में 8 घंटे काम करने के नियत किये गए। 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी नहीं कराई जाएगी। दुकान व व्यवसायिक संस्थान रविवार को बंद रहेंगे। छोटी-छोटी गलतियों पर वेतन नहीं काटा जाएगा।)