
बदलते भारत के सामाजिक क्रांति के अग्रदूत ज्योतिबा फूले और उनकी धर्मपत्नी सावित्री बाई फूले पर आधारित बहुचर्चित फिल्म ‘फूले’ का जयपुर के गौरव टॉवर स्थित आईनॉक्स सिनेमा हॉल में विशेष प्रदर्शन हुआ।
जयपुर से संचालित सर्वसमाज के हितकारी संगठन डाक्टर अंबेडकर विचार मंच समिति की ओर से प्रदर्शित फूले फिल्म का विशेष शो हाऊस फूल रहा।

फिल्म के विशेष शो को समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एडवोकेट एन पी सिंह अरबउनकी धर्मपत्नी अंजू सिंह के प्रयासों से आयोजित किया गया ।
विशेष शो में दुलीचंद रैगर, निवर्तमान अध्यक्ष सीताराम बैरवा, जयपुर जिलाध्यक्ष महता राम काला, सिमरन सिंह, सावित्री पोरवाल सहित कई सुधारवादी लोग मौजूद रहे।
डाक्टर अम्बेडकर विचार मंच समिति के जयपुर जिलाध्यक्ष महता राम काला ने बताया कि महात्मा ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई फूले के जीवन का संघर्ष इस फिल्म में दिखाया गया है। आज उन्हीं की बदौलत हम भारत में खुशहाली देख रहे है।
महता राम काला ने शाइनिंग अंबेडकर टाइम्स को बताया कि फिल्म का शो हाऊस फूल रहा। लोगों की मांग को देखते हुए इस फिल्म का एक और विशेष शो कराने का उनका संगठन व्यवस्था कराएगा।
डाक्टर अम्बेडकर विचार मंच के निवर्तमान अध्यक्ष सीताराम बैरवा ने फिल्म का विशेष शो देखने आई महिलाओं को सावित्री बाई फूले के संदेशों को फैलाने का अभियान चलाने का संकल्प दिलाया।
फिल्म देखने आई शिक्षिका सावित्री पोरवाल ने बताया कि इस फिल्म के जरिए सावित्री बाई फूले की शिक्षा के लिए किए प्रयासों को बखूबी दिखाया गया। उन्होंने समाज को प्रेरणा देने वाली इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग की।
अनंत महादेवन के निर्देशन में बनी फिल्म फूले शुरू से ही विवादों से घिरी रही।

ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई फूले के समाज सुधारों के प्रयासों और उस समय की सामाजिक व्यवस्था का चित्रण करने वाली फिल्म ‘फूले’ के ट्रेलर रिलीज होने के साथ ही विरोध शुरू हो गया था।
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ और हिन्दू महासभा ने आरोप लगाया था कि फिल्म ब्राह्मणों को नकारात्मक रूप में दिखाती है और जातिवाद को बढ़ावा देती है। इन संगठनों ने सड़कों पर प्रदर्शन किए और सेंसर बोर्ड को पत्र लिखकर आपत्तिजनक दृश्य हटाने की मांग की।
फिल्म को ज्योति बा फूले की जन्म जयंती दिवस 11 अप्रैल को रिलीज किए जाने की तैयारी थी। लेकिन ऐन वक्त पर सेंसर बोर्ड ने फिल्म में 11 कट के आदेश दे दिए।
सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कुछ दृश्यों और संवादों पर आपत्ति जताई जिनमें तीन हजार साल की गुलामी, जाति व्यवस्था और शूद्रों की दुर्दशा पर वॉइस ओवर, ब्राह्मण बच्चे का फूले दंपति पर कूड़ा फेंकने के दृश्य सहित महार, मांग, पेशवाई, मनुस्मृति और जाति व्यवस्था जैसे शब्दों के इस्तेमाल आदी शामिल थे।
