राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए 25 सितंबर बुरे दिन की तरह रहा। 25 सितंबर 2024 को अशोक गहलोत के खिलाफ दो मामले निराशाजनक रहे। उनके ओ एस डी रहे लोकेश शर्मा ने 25 सितंबर को दिल्ली पुलिस के सामने पेश होकर गहलोत के कार्यकाल में हुए फ़ोन टेपिंग के सबूत दिए। लोकेश ने बयान दिया कि उनकी पैन ड्राइव में मौजूद फोन टेपिंग के सबूत उन्हें अशोक गहलोत ने मीडिया को जारी करने के लिए दिए थे। लोकेश ने मांग कि की फ़ोन टेपिंग के लिए अशोक गहलोत से पूछताछ होनी चाहिए। इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है।
लोकेश ने टेपिंग से जुड़े अधिकारियों तथा नेताओं के नाम भी दिल्ली पुलिस को उजागर किए। गौरतलब है कि फोन टेपिंग के मामले में अलग थलग पड़ने के बाद लोकेश शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मुखर हो गए थे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया के जरिए गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री 25 सितंबर को ही अशोक गहलोत का एक और राजनीतिक दांव फ्लॉप हो गया।
मुख्यमंत्री रहते अपने राजनीतिक विरोधी और गृह क्षेत्र के सांसद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को ट्रेप करने के मकसद से संजीवनी घोटाले में उनका नाम उछाला था। गहलोत का आरोप था कि 960 करोड़ रुपए के संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह शामिल थे। उन्होंने घोटाले की जांच कराने के लिए एस ओ जी का गठन किया।
25 सितंबर 2024 को राजस्थान हाई कोर्ट ने संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह को क्लीन चिट दे दी। अदालत से राहत मिलने के बाद गजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि गहलोत जिसके पीछे पड़े, उनकी सियासी हत्या करके छोड़ते है। मैं एकमात्र हूं जिसके साथ वो ऐसा नहीं कर पाए। गजेंद्र सिंह ने संजीवनी घोटाले में अपनी मां का नाम घसीटने के लिए अशोक गहलोत पर मानहानि का वाद भी दायर किया था। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजनीतिक वारिश और पुत्र वैभव गहलोत को 2019 में जोधपुर की सीट से लोकसभा चुनाव में शिकस्त दे कर गजेंद्र सिंह ने अशोक गहलोत को सियासी पटकनी दी थी। तब से ही वे गहलोत के मुख्य विरोधी बन गए।
साथ छुटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के ओ एस डी रहे लोकेश शर्मा ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया
गौरतलब है कि 25 सितंबर 2023 को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा भेजे दो पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़के और अजय माखन की विधायकों और मंत्रियों द्वारा अवज्ञा कराने के मुद्दे पर अशोक गहलोत अपनी ही पार्टी में बुरी तरह घिर गए थे। इसे गहलोत के विद्रोह की तरह माना गया था। उनके राजस्थान में पार्टी में सबसे बड़े विरोधी रहे सचिन पायलट ने उस दिन यानी 25 सितंबर 2023 को राजस्थान में कांग्रेस के लिए काला दिन बताया था।
25 सितंबर 2022 को अशोक गहलोत ने एक और बड़ी राजनीतिक पटकनी खाई थी। जब उन्होंने सोनिया गांधी के निर्देश के बावजूद राजस्थान कांग्रेस विधायक दल की बैठक को नहीं होने दिया। इसकी वजह से अशोक गहलोत सोनिया गांधी के अपने उत्तराधिकारी के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष के प्रस्ताव के बावजूद अध्यक्ष नहीं बन पाए थे।