
भारतीय दर्शन में आम-ओ-खास भारतीय को वैकल्पिक विजन देने में बौद्ध दर्शन लम्बे समय से महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। पिछले कुछ समय से जब भारत में जाति, धर्म, पंथ के बीच विभेदन बुरी तरह से बढा है, जब समानता और मानवता का मूल भारतीय दर्शन पीड़ित हुआ है; तब बोद्व दर्शन की प्रासंगिकता ज्यादा बढ़ गयी।


भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले और डॉ. भीमराव अम्बेडकर की वैचारिक यात्रा में साथी उनकी पत्नी रमा बाई अम्बेडकर की संयुक्त जयंती समारोह के अवसर पर 7, फरवरी को हो रहे बौद्ध धम्म सम्मेलन में बुद्धिजीवीयों और आम जनता का मंच बनेगा।
भारत क प्रमुख समाज सुधारकों में से एक ज्योतिराव फुले के वंशज प्रशांत यतीश फुले के मुख्य आतिथ्य में हो रहे इस धम्म सम्मेलन में मुम्बई की जानी-मानी लेखिका प्रोफेसर आशालता काम्बले प्रमुख वक्ता होगी।
10 वें बौद्ध धम्म सम्मेलन के सह संयोजक महता राम काला ने बताया कि यह सम्मेलन वैकल्पिक भारतीय दर्शन बौद्ध दर्शन को समर्पित होगा।
अखिल भारतीय डॉ. अंबेडकर महात्मा ज्योतिबा फुले साहित्य अकादमी राजस्थान द्वारा आयोजित सम्मेलन के मुख्य संयोजक पूरण सिंह मौर्य ने बताया कि ‘हम चले फुले, अंबेडकर, बुद्ध की ओर’ अभियान के अंतर्गत दसवां बौद्ध धर्म सम्मेलन बहुजन समाज और भारत के सर्व समाज को राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित करने, देश में समता, समानता, भाईचारा, न्याय, स्वतंत्रता की भावना पैदा कर सत्ता में आर्थिक, प्रशासनिक, समान भागीदारी सुनिश्चित करने की ओर अग्रसर करने, सभी धर्म, पंथों, संप्रदायों में प्रेम मोहब्बत से रहने का वातावरण बनाने, सभी महापुरुषों के जीवन चरित साहित्य सृजन करने, संविधान के दायरे में रहकर सभी कर्तव्य दायित्वों का पालन करने, सभी धर्म, पंथ, संप्रदायों में प्रेम और भाईचारा बनाने, बहुजन समाज के महापुरुष जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी के वीरांगनाओं, महापुरुष, संतों की अपेक्षा की गई है।
सह संयोजक भवानी शंकर माली एवं महताराम काला ने बताया कि विशिष्ठ अतिथि राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, राजस्थान प्रदेश माली सैनी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ताराचंद गहलोत, आरक्षण अधिकार मंच के अध्यक्ष राजाराम मील सहित कई बौद्धिक लोग होंगे।