मतलब मामला लोकसभा चुनाव का परिणाम नहीं बल्कि सरकार और पार्टी से मान मनवार का है। कुछ बेहतर पाने का है।
राजस्थान में भाजपा अभी वसुंधराराजे की सरकार से दूरियां कम करने की चुनौती से उबर नहीं पायी थी कि किरोड़ीलाल मीना के फांस में उलझ गई। लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं पाने के ‘बहाने’ मंत्री पद छोड़ने के बाद किरोड़ी को मानने की जद्दोजद में राजस्थान भाजपा फंस गई।
इसी के साथ प्रदेश भाजपा में हलचल मच गई। नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने दावा किया कि वे किरोड़ी को मना कर मंत्री पद पर वापसी करा देंगे। राठौड़ की अध्यक्ष की नियुक्ति के समय किरोड़ी मीना ने सौहार्द भेंट कर संकेत दिए थे कि अध्यक्ष बदलने से उनकी सरकार से नाराजगी कम हो गई है।
किरोड़ी मीना ने भी समय की नजाकत को भांपते हुए एक बारगी अपने एक्स अकाउंट की प्रोफाइल पर मंत्री पद मेंशन कर दिया लेकिन कुछ ही समय बाद फिर से हटा दिया।
मतलब मामला लोकसभा चुनाव का परिणाम नहीं बल्कि सरकार और पार्टी से मान मनवार का है। कुछ बेहतर पाने का है।